दिल की हर धड़कन है बत्तिस मील में ।
वो ज़िले में और हम तहसील में ।
उसकी आराइस की क़ीमत कैसे दूँ,
दिल को तोला नाक की इक कील में ।
कुछ रहीने मय नहीं मस्ते ख़राम,
सब नशा है सैण्डिल की हील में ।
यार किहकर मेरी सिगरेट खेंच ली
किस क़दर बिगड़े हैं बच्चे ढील में ।
यक-ब-यक लहरों में दम-सी आ गई,
लड़कियों ने पाँव डाले झील में ।
उम्र अदाकारी में सारी कट गई,
इक ज़रा से झूठ की तावील में ।
हुक्म कर के देखिएगा तो हुज़ूर,
सर है ह़ाज़िर हुक्म की तामील में ।
सैकड़ों ग़ज़लें मुकम्मल हो गईं,
इक अधूरे शेर की तकमील में ।
Ana kasmi