Aankhon mein bas ke dil mein sama kar chale gaye

आँखों में बस के दिल में समा कर चले गये 
ख़्वाबिदा ज़िन्दगी थी जगा कर चले गये 

चेहरे तक आस्तीन वो लाकर चले गये 
क्या राज़ था कि जिस को छिपाकर चले गये 

रग-रग में इस तरह वो समा कर चले गये 
जैसे मुझ ही को मुझसे चुराकर चले गये 

आये थे दिल की प्यास बुझाने के वास्ते 
इक आग सी वो और लगा कर चले गये 

लब थरथरा के रह गये लेकिन वो ऐ “ज़िगर” 
जाते हुये निगाह मिलाकर चले गये

Jigar moradabadi

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