अब तो यह भी नहीं रहा अहसास
दर्द होता है या नहीं होता
इश्क़ जब तक न कर चुके रुस्वा
आदमी काम का नहीं होता
हाय क्या हो गया तबीयत को
ग़म भी राहत-फ़ज़ा नहीं होता
वो हमारे क़रीब होते हैं
जब हमारा पता नहीं होता
दिल को क्या-क्या सुकून होता है
जब कोई आसरा नहीं होता
Jigar moradabadi