Chhoo jaye dil ko aisa koi fan abhi kahan

छू जाए दिल को ऐसा कोई फ़न अभी कहाँ
कोशिश है शायरी की ये सब शायरी कहाँ

यूँ भी हुआ कि रेत को सागर बना दिया
ऐसा नहीं तो जाओ अभी तिशनगी कहाँ

ये और बात दर्द ने शक्लें तराश लीं
जो नक्श बोलते हैं वो सूरत बनी कहाँ

माना हमारे जैसे हज़ारों हैं शहर में
तुम जैसी कोई चीज़ मगर दूसरी कहाँ

ये जो बरहना संत है पहचानिए हुज़ूर
ये गुल खिला गई है तिरी दिल्लगी कहाँ

अब आपको तो उसके सिवा सूझता नहीं
किस शख़्स की ये बात है और आप भी कहाँ

ये क्या छुपा रहा है वो टोपी में देखिए
इस मयकदे के सामने ये मौलवी कहाँ

आँखें हैं या के तश्त में जलते हुए चराग़
करने चले हैं आप ये अब आरती कहाँ

Ana kasmi

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