Darte ho chasm-o-zulf, nigaah-o-ada se hum

डरते हैं चश्म-ओ-ज़ुल्फ़, निगाह-ओ-अदा से हम
हर दम पनाह माँगते हैं हर बला से हम

माशूक़ जाए हूर मिले, मय बजाए आब
महशर में दो सवाल करेंगे ख़ुदा से हम

गो हाल-ए-दिल छुपाते हैं पर इस को क्या करें
आते हैं ख़ुद ख़ुद नज़र इक मुबतला से हम

देखें तो पहले कौन मिटे उसकी राह में
बैठे हैं शर्त बाँध के हर नक्श-ए-पा से हम

Daag Dehalvi

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