Ek parwaz dikhai di hai

एक परवाज़ दिखाई दी है 
तेरी आवाज़ सुनाई दी है

जिस की आँखों में कटी थी सदियाँ 
उस ने सदियों की जुदाई दी है 

सिर्फ़ एक सफ़ाह पलट कर उस ने 
बीती बातों की सफ़ाई दी है 

फिर वहीं लौट के जाना होगा 
यार ने कैसी रिहाई दी है 

आग ने क्या क्या जलाया है शब भर 
कितनी ख़ुश-रंग दिखाई दी है

Gulzar

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