Har dam duayein dena

हर दम दुआएँ देना हर लम्हा आहें भरना 
इन का भी काम करना अपना भी काम करना 

याँ किस को है मय्यसर ये काम कर गुज़रना 
एक बाँकपन पे जीना एक बाँकपन पे मरना 

जो ज़ीस्त को न समझे जो मौत को न जाने 
जीना उन्हीं का जीना मरना उन्हीं का मरना 

हरियाली ज़िन्दगी पे सदक़े हज़ार जाने 
मुझको नहीं गवारा साहिल की मौत मरना 

रंगीनियाँ नहीं तो रानाइयाँ भी कैसी 
शबनम सी नाज़नीं को आता नहीं सँवरना 

तेरी इनायतों से मुझको भी आ चला है 
तेरी हिमायतों में हर-हर क़दम गुज़रना 

कुछ आ चली है आहट इस पायनाज़ की सी 
तुझ पर ख़ुदा की रहमत ऐ दिल ज़रा ठहरना 

ख़ून-ए-जिगर का हासिल इक शेर तक की सूरत 
अपना ही अक्स जिस में अपना ही रंग भरना 

Jigar moradabadi

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *