Har soo dikhai dete hai wo jalwagar mughe

हर सू दिखाई देते हैं वो जलवागर मुझे

क्या-क्या फरेब देती है मेरी नज़र  मुझे

डाला है बेखुदी ने अजब राह पर मुझे

आँखें हैं और कुछ नहीं आता नज़र मुझे

दिल ले के मेरा देते हो दाग़-ए-जिगर मुझे

ये बात भूलने की नहीं उम्र भर मुझे

आया ना रास नाला-ए-दिल का असर मुझे

अब तुम मिले तो कुछ नहीं अपनी ख़बर  मुझे

Jigar moradabadi

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