Is ishq ke haatho se har giz namafar dekha

इस इश्क़ के हाथों से हर-गिज़ नामाफ़र देखा 
उतनी ही बड़ी हसरत जितना ही उधर देखा 

था बाइस-ए-रुसवाई हर चंद जुनूँ मेरा 
उनको भी न चैन आया जब तक न इधर देखा 

यूँ ही दिल के तड़पने का कुछ तो है सबब आख़िर 
याँ दर्द ने करवट ली है याँ तुमने इधर देखा 

माथे पे पसीना क्यों आँखों में नमी सी क्यों 
कुछ ख़ैर तो है तुमने क्या हाल-ए-जिगर देखा

Jigar moradabadi

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