Kyo churate ho dekhkar aankhe

क्यों चुराते हो देखकर आँखें
कर चुकीं मेरे दिल में घर आँखें

ज़ौफ़ से कुछ नज़र नहीं आता
कर रही हैं डगर-डगर आँखें

चश्मे-नरगिस को देख लें फिर हम
तुम दिखा दो जो इक नज़र आँखें 

कोई आसान है तेरा दीदार
पहले बनवाए तो बशर आँखें

न गई ताक-झाँक की आदत
लिए फिरती हैं दर-ब-दर आँखें

ख़ाक पर क्यों हो नक्शे-पा तेरा
हम बिछाएँ ज़मीन पर आँखें

नोहागर कौन है मुक़द्दर पर
रोने वालों में हैं मगर आँखें 

दाग़ आँखें निकालते हैं वो
उनको दे दो निकाल कर आँखें

Daag Dehalvi

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *