Mujhe de rahe hai tasalliya

मुझे दे रहे हैं तसल्लियाँ वो हर एक ताज़ा पयाम से 
कभी आके मंज़र-ए-आम पर कभी हट के मंज़र-ए-आम से

न गरज़ किसी से न वास्ता, मुझे काम अपने ही काम से 
तेरे ज़िक्र से, तेरी फ़िक्र से, तेरी याद से, तेरे नाम से 

मेरे साक़िया, मेरे साक़िया, तुझे मरहबा, तुझे मरहबा 
तू पिलाये जा, तू पिलाये जा, इसी चश्म-ए-जाम ब जाम से 

तेरी सुबह-ओ-ऐश है क्या बला, तुझे अए फ़लक जो हो हौसला 
कभी करले आके मुक़ाबिला, ग़म-ए-हिज्र-ए-यार की शाम से

Jigar moradabadi

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