Shayrana
Shayrana si hai Zindgi ki Fiza
दिल जलाने की आदत उनकी आज भी नहीं गयी; वो आज भी फूल बगल वाली कब्र पर रख जाते हैं।
नक़ाब उलटे हुए गुलशन से वो जब भी गुज़रता है समझ के फूल उसके लब पे तितली बैठ जाती है!