Shayrana
Shayrana si hai Zindgi ki Fiza
घर सजाने का तस्सवुर तो बहुत बाद का है पहले ये तय हो कि इस घर को बचायें कैसे
जब तस्सवुर मेरा चुपके से तुझे छू आए देर तक अपने बदन से तेरी खुशबू आए॥