आदतन तुम ने कर दिये वादे
आदतन हम ने ऐतबार किया
तेरी राहों में हर बार रुक कर
हम ने अपना ही इन्तज़ार किया
अब ना माँगेंगे जिन्दगी या रब
ये गुनाह हम ने एक बार किया
गुलज़ार
आदतन तुम ने कर दिये वादे
आदतन हम ने ऐतबार किया
तेरी राहों में हर बार रुक कर
हम ने अपना ही इन्तज़ार किया
अब ना माँगेंगे जिन्दगी या रब
ये गुनाह हम ने एक बार किया
गुलज़ार