हम तो यूँ अपनी ज़िन्दगी से मिले

सुदर्शन फ़ाकिर

हम तो यूँ अपनी ज़िन्दगी से मिले
अजनबी जैसे अजनबी से मिले

हर वफ़ा एक जुर्म हो गोया
दोस्त कुछ ऐसी बेरुख़ी से मिले

फूल ही फूल हम ने माँगे थे
दाग़ ही दाग़ ज़िन्दगी से मिले

जिस तरह आप हम से मिलते हैं
आदमी यूँ न आदमी से मिले

Visit Sudarshan Faakir Page https://shayrana.in/category/shayar/sudarshan-faakir/

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *