बहुत अजीब है ये कुरबतों की दूरी भी
वो मेरे साथ रहा, और मुझे कभी न मिला
Month: December 2015
Khuda ki kaaynaat
ख़ुदा की इतनी बड़ी कायनात में मैंने
बस एक शख़्स को मांगा, मुझे वही न मिला
Mohabbaton mein dikhawe ki dosti
मोहब्बतों में दिखावे की दोस्ती न मिला
अगर गले नहीं मिलता, तो हाथ भी न मिला
घरों पे नाम थे, नामों के साथ ओहदे थे
बहुत तलाश किया, कोई आदमी न मिला
तमाम रिश्तों को मैं, घर में छोड़ आया था
फिर इसके बाद मुझे, कोई अजनबी न मिला
ख़ुदा की इतनी बड़ी कायनात में मैंने
बस एक शख़्स को मांगा, मुझे वही न मिला
बहुत अजीब है ये कुरबतों की दूरी भी
वो मेरे साथ रहा, और मुझे कभी न मिला
बशीर बद्र
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Mohabbaton mein dikhawe ki dosti na mila
Agar gale nahin milta to haath bhi na mila
Gharon pe naam they, naamon key saath ohde they
Bahut talaash kiya koi aadmi na mila
Tamaam rishton ko main ghar pe chhod aaya tha
Phir uske baad mujhe koi ajnabi na mila
Khuda ki itni badi kaaynat mein maine
Bas eik shakhs ko manga mujhe wohi na mila
Bahut ajeeb hai ye qurbaton ki doori bhi
Wo mere saath raha aur mujhe kabhi na mila
Bashir Badr
Khuda ka naam
मैं खुदा का नाम लेकर, पी रहा हूं दोस्तों
ज़हर भी इसमें अगर होगा, दवा हो जाएगा