Rachi hai ratjago ki chandni jin ki zabeeno mein

रची है रतजगो की चाँदनी जिन की जबीनों में
“क़तील” एक उम्र गुज़री है हमारी उन हसीनों में

वो जिन के आँचलों से ज़िन्दगी तख़लीक होती है
धड़कता है हमारा दिल अभी तक उन हसीनों में

ज़माना पारसाई की हदों से हम को ले आया
मगर हम आज तक रुस्वा हैं अपने हमनशीनों में

तलाश उनको हमारी तो नहीं पूछ ज़रा उनसे
वो क़ातिल जो लिये फिरते हैं ख़ंज़र आस्तीनों में

Qateel shifai

Pyas wo dil ki bujhane kabhi aaya bhi nahi

प्यास वो दिल की बुझाने कभी आया भी नहीं 
कैसा बादल है जिसका कोई साया भी नहीं 

बेरुख़ी इससे बड़ी और भला क्या होगी 
एक मुद्दत से हमें उस ने सताया भी नहीं 

रोज़ आता है दर-ए-दिल पे वो दस्तक देने 
आज तक हमने जिसे पास बुलाया भी नहीं 

सुन लिया कैसे ख़ुदा जाने ज़माने भर ने 
वो फ़साना जो कभी हमने सुनाया भी नहीं 

तुम तो शायर हो “क़तील” और वो इक आम सा शख़्स 
उसने चाहा भी तुझे और जताया भी नहीं 

Qateel shifai

Preshan raat saari hai sitaro tum bhi so jao

परेशाँ रात सारी है सितारों तुम तो सो जाओ
सुकूत-ए-मर्ग तारी है सितारों तुम तो सो जाओ

हँसो और हँसते-हँसते डूबते जाओ ख़लाओं में
हमें ये रात भारी है सितारों तुम तो सो जाओ

तुम्हें क्या आज भी कोई अगर मिलने नहीं आया
ये बाज़ी हमने हारी है सितारों तुम तो सो जाओ

कहे जाते हो रो-रो के हमारा हाल दुनिया से
ये कैसी राज़दारी है सितारों तुम तो सो जा

हमें तो आज की शब पौ फटे तक जागना होगा
यही क़िस्मत हमारी है सितारों तुम तो सो जाओ

हमें भी नींद आ जायेगी हम भी सो ही जायेंगे
अभी कुछ बेक़रारी है सितारों तुम तो सो जाओ

Qateel shifai

Pehle to apne dil ki raza jaan jaiye

पहले तो अपने दिल की रज़ा जान जाइये
फिर जो निगाह-ए-यार कहे मान जाइये

पहले मिज़ाज-ए-राहगुज़र जान जाइये
फिर गर्द-ए-राह जो भी कहे मान जाइये

कुछ कह रही है आपके सीने की धड़कने
मेरी सुनें तो दिल का कहा मान जाइये

इक धूप सी जमी है निगाहों के आस पास
ये आप हैं तो आप पे क़ुर्बान जाइये

शायद हुज़ूर से कोई निस्बत हमें भी हो
आँखों में झाँक कर हमें पहचान जाइये

Qateel shifai