Milkar juda huey to na soya karenge ham

मिलकर जुदा हुए तो न सोया करेंगे हम 
एक दूसरे की याद में रोया करेंगे हम 

आँसू छलक छलक के सतायेंगे रात भर 
मोती पलक पलक में पिरोया करेंगे हम 

जब दूरियों की आग दिलों को जलायेगी 
जिस्मों को चाँदनी में भिगोया करेंगे हम 

गर दे गया दग़ा हमें तूफ़ान भी “क़तील” 
साहिल पे कश्तियों को डूबोया करेंगे हम

Qateel shifai

Maine poochha pehla patthar mujh par kon oothaega

मैनें पूछा पहला पत्थर मुझ पर कौन उठायेगा
आई इक आवाज़ कि तू जिसका मोहसिन कहलायेगा

पूछ सके तो पूछे कोई रूठ के जाने वालों से
रोशनियों को मेरे घर का रस्ता कौन बतायेगा

लोगो मेरे साथ चलो तुम जो कुछ है वो आगे है
पीछे मुड़ कर देखने वाला पत्थर का हो जायेगा

दिन में हँसकर मिलने वाले चेहरे साफ़ बताते हैं
एक भयानक सपना मुझको सारी रात डरायेगा

मेरे बाद वफ़ा का धोखा और किसी से मत करना
गाली देगी दुनिया तुझको सर मेरा झुक जायेगा

सूख गई जब इन आँखों में प्यार की नीली झील “क़तील”
तेरे दर्द का ज़र्द समन्दर काहे शोर मचायेगा

Qateel shifai

Kiya hai pyar jise hamne zindgi ki tarah

किया है प्यार जिसे हमने ज़िन्दगी की तरह
वो आशना भी मिला हमसे अजनबी की तरह

किसे ख़बर थी बढ़ेगी कुछ और तारीकी
छुपेगा वो किसी बदली में चाँदनी की तरह

बढ़ा के प्यास मेरी उस ने हाथ छोड़ दिया
वो कर रहा था मुरव्वत भी दिल्लगी की तरह

सितम तो ये है कि वो भी ना बन सका अपना
कूबूल हमने किये जिसके गम खुशी कि तरह

कभी न सोचा था हमने “क़तील” उस के लिये
करेगा हमपे सितम वो भी हर किसी की तरह

Qateel shifai

Jo bhi guncha tere hothon par khila karta hai

जो भी गुंचा तेरे होठों पर खिला करता है
वो मेरी तंगी-ए-दामाँ का गिला करता है

देर से आज मेरा सर है तेरे ज़ानों पर
ये वो रुत्बा है जो शाहों को मिला करता है 

मैं तो बैठा हूँ दबाये हुये तूफ़ानों को 
तू मेरे दिल के धड़कने का गिला करता है 

रात यों चाँद को देखा है नदी में रक्साँ 
जैसे झूमर तेरे माथे पे हिला करता है 

कौन काफ़िर तुझे इल्ज़ाम-ए-तग़ाफ़ुल देगा 
जो भी करता है मुहब्बत का गिला करता है

Qateel shifai