Beemar ko marz ki dawa deni chahiye

बीमार को मर्ज़ की दवा देनी चाहिए

वो पीना चाहता है पिला देनी चाहिए

अल्लाह बरकतों से नवाज़ेगा इश्क़ में
है जितनी पूँजी पास लगा देनी चाहिए

ये दिल किसी फ़कीर के हुज़रे से कम नहीं
ये दुनिया यही पे लाके छुपा देनी चाहिए

मैं फूल हूँ तो फूल को गुलदान हो नसीब
मैं आग हूँ तो आग बुझा देनी चाहिए

मैं ख़्वाब हूँ तो ख़्वाब से चौंकाईये मुझे
मैं नीद हूँ तो नींद उड़ा देनी चाहिए
 
मैं जब्र हूँ तो जब्र की ताईद बंद, हो
मैं सब्र हूँ तो मुझ को दुआ देनी चाहिए

मैं ताज हूँ तो ताज को सर पे सजायें लोग
मैं ख़ाक हूँ तो ख़ाक उड़ा देनी चाहिए

सच बात कौन है जो सरे-आम कह सके
मैं कह रहा हूँ मुझको सजा देनी चाहिए

सौदा यही पे होता है हिन्दोस्तान का
संसद भवन में आग लगा देनी चाहिए

Rahat indori

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *