अपनी मर्जी से कहाँ अपने सफ़र के हम है
रुख हवाओ का जिधर का है उधर के हम है
Category: Badal/ Barsat/ Sawan/ Kudrat/ Hawa/ Pani/ Nature Shayri
Samandar
समंदर बनके क्या फायदा, बनना है तो तालाब बनो…
जहाँ शेर भी पानी पीता है, लेकिन सर झुका कर
Dhundh
आज तो मिलने चले आओ..
इतनी धुंध में भला कौन देखेगा
Mausam
मौसम बहुत सर्द है…,
…चल ऐ दिल…!
…कुछ ख्वाहिशों को…,
…आग लगाते हैं…!!