जहाँ हिन्दू मिले जहाँ पर मुसलमान मिले उसे हिन्दूस्तान कहते हैं,
जहाँ हर मज़हब को एक सा सम्मान मिले उसे हिन्दूस्तान कहते हैं।
कहदो उससे जाकर जहां में हमारे मुल्क से अच्छा कोई मुल्क नहीं,
जहाँ गुरुग्रंथ बाईबल गीता और कुरान मिले उसे हिन्दूस्तान कहते हैं।
जिसने सदियों से संजोऐ रख्खा है इन मोतीयों को एकता के धागे में,
जहाँ आँगनों में तुलसी घरों में रहमान मिले उसे हिन्दूस्तान कहते हैं ।
हमारा वतन हमको जान से प्यारा है यही बस हमारे जीने का सहारा है,
जहाँ मंदिरों में घंटीयाँ मस्जिदों में अजान मिले उसे हिन्दूस्तान कहते हैं ।
हो जाएगी बेकार ये सब कोशिशें तुम्हारी हमको आपस में लड़वाने की,
जहाँ एक दूजे के लिए हथेलीयों पर जान मिले उसे हिन्दूस्तान कहते हैं ।
इस मिट्टी का दाना पानी बनके जिंदगी रगों में हमारी दौड़ रहा है “सहर”
जहाँ हर क़तरा खून का अपने वतन पे कुर्बान मिले उसे हिन्दूस्तान कहते हैं ।
– मोहम्मद शरीफ “सहर”