Kabhi kabhi yu bhi humne apne jee ko behlaya hai

कभी कभी यूँ भी हमने अपने जी को बहलाया है 
जिन बातों को ख़ुद नहीं समझे औरों को समझाया है

हमसे पूछो इज़्ज़त वालों की इज़्ज़त का हाल कभी
हमने भी इस शहर में रह कर थोड़ा नाम कमाया है

उससे बिछड़े बरसों बीते लेकिन आज न जाने क्यों 
आँगन में हँसते बच्चों को बे-कारण धमकाया है

कोई मिला तो हाथ मिलाया कहीं गए तो बातें की 
घर से बाहर जब भी निकले दिन भर बोझ उठाया है

Nida Fazli

Jeewan kya hai chalta firta ek khilona hai

जीवन क्या है चलता फिरता एक खिलौना है 
दो आँखों में एक से हँसना एक से रोना है

जो जी चाहे वो मिल जाये कब ऐसा होता है 
हर जीवन जीवन जीने का समझौता है 
अब तक जो होता आया है वो ही होना है

रात अँधेरी भोर सुहानी यही ज़माना है 
हर चादर में दुख का ताना सुख का बाना है 
आती साँस को पाना जाती साँस को खोना है

Nida Fazli

Jahan na teri mehak ho udhar na jau mai

जहाँ न तेरी महक हो उधर न जाऊँ मैं 
मेरी सरिश्त सफ़र है गुज़र न जाऊँ मैं 

मेरे बदन में खुले जंगलों की मिट्टी है 
मुझे सम्भाल के रखना बिखर न जाऊँ मैं 

मेरे मिज़ाज में बे-मानी उलझनें हैं बहुत 
मुझे उधर से बुलाना जिधर न जाऊँ मैं 

कहीं पुकार न ले गहरी वादियों का सबूत 
किसी मक़ाम पे आकर ठहर न जाऊँ मैं 

न जाने कौन से लम्हे की बद-दुआ है ये 
क़रीब घर के रहूँ और घर न जाऊँ मैं

Nida Fazli

Jab kisi se koi gila rakhna

जब किसी से कोई गिला रखना 
सामने अपने आईना रखना 

यूँ उजालों से वास्ता रखना 
शम्मा के पास ही हवा रखना 

घर की तामीर चाहे जैसी हो 
इस में रोने की जगह रखना 

मस्जिदें हैं नमाज़ियों के लिये 
अपने घर में कहीं ख़ुदा रखना 

मिलना जुलना जहाँ ज़रूरी हो 
मिलने-जुलने का हौसला रखना

Nida Fazli