आइना देख कर तसल्ली हुई
हम को इस घर में जानता है कोई
आइना देख कर तसल्ली हुई
हम को इस घर में जानता है कोई
समंदर बनके क्या फायदा, बनना है तो तालाब बनो…
जहाँ शेर भी पानी पीता है, लेकिन सर झुका कर
लाऊंगा कहाँ से मैं जुदाई का हौसला
क्यों इस कदर मेरे करीब आ गए हो तुम
दिल में ना हो ज़ुर्रत तो मोहब्बत नहीं मिलती
ख़ैरात में इतनी बड़ी दौलत नहीं मिलती