आज तो मिलने चले आओ..
इतनी धुंध में भला कौन देखेगा
Category: Intezar Shayri
Bardasht
“कर लेता हूँ बर्दाश्त तेरा हर दर्द इसी आस के साथ..
की खुदा नूर भी बरसाता है, आज़माइशों के बाद”.!!!
Sharminda
शर्मिंदा हूँ उन फूलों से,
जो मेरे हाथों में ही सूख गये,
तेरा इंतज़ार करते करते
Intzaar
इंतजार तो किसी का भी नहीं है अब,
_____फिर न जाने क्यों________
पीछे पलट कर देखने की आदत गई नहीं।