ज़िंदगी अपनी जब इस शल्क से गुज़री ‘ग़ालिब’
हम भी क्या याद करेंगे कि ख़ुदा रखते थे
Mirza Ghalib
ज़िंदगी अपनी जब इस शल्क से गुज़री ‘ग़ालिब’
हम भी क्या याद करेंगे कि ख़ुदा रखते थे
Mirza Ghalib
मैं तबाह हूँ तेरे प्यार में और तुझे दूसरों का ख्याल है….
कुछ तो मेरे मसले पर गौर कर मेरी जिन्दगी का सवाल है…
लौट आओ वो हिस्सा लेकर, जो साथ ले गये थे तुम..
इस रिश्ते का अधूरापन अब अच्छा नही लगता….!!
जिन्दगी बहुत खूबसूरत है सब कहते थे,
जिस दिन तुम्हें देखा यकीन भी हो गया !!