Hamare bhay pe pabandi lagate hai

हमारे भय पे पाबंदी लगाते हैं 
अंधेरे में भी जुगनू मुस्कुराते हैं 

बहुत कम लोग कर पाते हैं ये साहस 
चतुर चेहरों को आईना दिखाते हैं 

जो उड़ना चाहते हैं उड़ नहीं पाते 
वो जी भर कर पतंगों को उड़ाते हैं 

नहीं माना निकष हमने उन्हें अब तक 
मगर वो रोज़ हमको आज़माते हैं 

उन्हें भी नाच कर दिखलाना पड़ता है 
जो दुनिया भर के लोगों को नचाते हैं 

बहुत से पट कभी खुलते नहीं देखे 
यूँ उनको लोग अक्सर खटखटाते हैं 

हमें वो नींद में सोने नहीं देते 
हमारे स्वप्न भी हम को जगाते हैं

Zaheer quraishi

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