Hum tujhse kis hawas ki falak justju kare

हम तुझसे किस हवस की फलक जुस्तुजू करें
दिल ही नहीं रहा है जो कुछ आरजू करें

तर-दामनी पे शेख हमारी ना जाईयो
दामन निचोड़ दें तो फ़रिश्ते वजू करें

सर ता क़दम ज़ुबां हैं जूं शम’अ गो की हम
पर यह कहाँ मजाल जो कुछ गुफ्तगू करें

है अपनी यह सलाह की सब ज़ाहिदान-ए-शहर
ए दर्द आ की बै’अत-ए-दस्त-ओ-सुबू करें

मिट जाएँ एक आन् में कसरत नुमाईयां
हम आईने के सामने आके जब हू करें

Daag Dehalvi

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