Kaisa rishta hai is makan ke sath

कैसा रिश्ता है इस मकान के साथ
बात करता हूँ बेज़बान के साथ

आप तन्हा जनाब कुछ भी नहीं
तीर जचता है बस कमान के साथ

हर बुरे वक़्त पर नज़र उट्ठी
क्या तअल्लुक है आसमान के साथ

दुश्मनी थी तो कुछ तो हासिल था
छिन गया सारा कुछ अमान के साथ

थे ज़मीं पर तो ठीक-ठाक था सब
पर बिखरने लगे उड़ान के साथ

एक इंसाँ ही सो रहा है फ़क़त
कुल जहाँ उठ गया अजान के साथ

ना सही मानी हर्फ़ ही से सही
एक निस्बत तो है कुरान के साथ

Ana kasmi

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