Kaun kehta hai tujhe maine bhula rakkha hai

कौन कहता है तुझे मैंने भुला रक्खा है 
तेरी यादों को कलेजे से लगा रक्खा है 

लब पे आहें भी नहीं आँख में आँसू भी नहीं 
दिल ने हर राज़ मुहब्बत का छुपा रक्खा है 

तूने जो दिल के अंधेरे में जलाया था कभी 
वो दिया आज भी सीने में जला रक्खा है 

देख जा आ के महकते हुये ज़ख़्मों की बहार 
मैंने अब तक तेरे गुलशन को सजा रक्खा है

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