मेरे क़ाबू में न पहरों दिल-ए-नाशाद आया
वो मेरा भूलने वाला जो मुझे याद आया
दी मुअज्जिन ने शब-ए-वस्ल अज़ान पिछली रात
हाए कम-बख्त के किस वक्त ख़ुदा याद आया
लीजिए सुनिए अब अफ़साना-ए- फुर्कत मुझ से
आप ने याद दिलाया तो मुझे याद आया
आप की महिफ़ल में सभी कुछ है मगर ‘दाग़’ नहीं
मुझ को वो ख़ाना-ख़राब आज बहोत याद आया
Daag Dehalvi
JUST GREAT!!!!!!
Thank you. Do visit again. we have updated our site
Thank u. We have updated our site in a big way. please visit again.