जब भी यह दिल उदास होता है

जब भी यह दिल उदास होता है
जाने कौन आस-पास होता है

होंठ चुपचाप बोलते हों जब
सांस कुछ तेज़-तेज़ चलती हो
आंखें जब दे रही हों आवाज़ें
ठंडी आहों में सांस जलती हो

आँख में तैरती हैं तसवीरें
तेरा चेहरा तेरा ख़याल लिए
आईना देखता है जब मुझको
एक मासूम सा सवाल लिए

कोई वादा नहीं किया लेकिन
क्यों तेरा इंतजार रहता है
बेवजह जब क़रार मिल जाए
दिल बड़ा बेकरार रहता है

जब भी यह दिल उदास होता है
जाने कौन आस-पास होता है

गुलज़ार

देखो, आहिस्ता चलो और भी आहिस्ता ज़रा

देखना, सोच सँभल कर ज़रा पाँव रखना

ज़ोर से बज न उठे पैरों की आवाज़ कहीं

कांच के ख़्वाब हैं बिखरे हुए तन्हाई में

ख़्वाब टूटे न कोई जाग न जाए देखो

जाग जाएगा कोई ख़्वाब तो मर जाएगा

देखो, आहिस्ता चलो और भी आहिस्ता ज़रा

देखना, सोच सँभल कर ज़रा पाँव रखना

ज़ोर से बज न उठे पैरों की आवाज़ कहीं

कांच के ख़्वाब हैं बिखरे हुए तन्हाई में

ख़्वाब टूटे न कोई जाग न जाए देखो

जाग जाएगा कोई ख़्वाब तो मर जाएगा

गुलज़ार

मुझको भी तरकीब सिखा कोई यार जुलाहे

मुझको भी तरकीब सिखा कोई यार जुलाहे
अक्सर तुझको देखा है कि ताना बुनते
जब कोई तागा टूट गया या ख़तम हुआ
फिर से बाँध के
और सिरा कोई जोड़ के उसमें
आगे बुनने लगते हो
तेरे इस ताने में लेकिन
इक भी गाँठ गिरह बुनतर की
देख नहीं सकता है कोई
मैंने तो इक बार बुना था एक ही रिश्ता
लेकिन उसकी सारी गिरहें
साफ़ नज़र आती हैं मेरे यार जुलाहे

गुलज़ार

ज़िंदगी यूँ हुई बसर तन्हा

ज़िंदगी यूँ हुई बसर तन्हा

क़ाफ़िला साथ और सफ़र तन्हा

अपने साए से चौंक जाते हैं

उम्र गुज़री है इस क़दर तन्हा

रात भर बातें करते हैं तारे

रात काटे कोई किधर तन्हा

डूबने वाले पार जा उतरे

नक़्श-ए-पा अपने छोड़ कर तन्हा

दिन गुज़रता नहीं है लोगों में

रात होती नहीं बसर तन्हा

हम ने दरवाज़े तक तो देखा था

फिर न जाने गए किधर तन्हा

गुलज़ार