Seekho aankhen padhna sahib

सीखो आँखें पढ़ना साहिब
होगी मुश्किल वरना साहिब

सम्भल कर इल्जाम लगाना
उसने खद्‍दर पहना साहिब

तिनके से सागर नापेगा
रख ऐसे भी हठ ना साहिब

दीवारें किलकारी मारे
घर में झूले पलना साहिब

पूरे घर को महकाता है
माँ का माला जपना साहिब

सब को दूर सुहाना लागे
क्यूं ढ़ोलों का बजना साहिब

कायनात सारी ठहरा दे
उस आँचल का ढ़लना साहिब

Gautam rajrishi

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