Shahron shahron gaon ka aangan yaad aaya

शहरों-शहरों गाँव का आँगन याद आया

झूठे दोस्त और सच्चा दुश्मन याद आया

पीली पीली फसलें देख के खेतों में
अपने घर का खाली बरतन याद आया

गिरजा में इक मोम की मरियम रखी थी
माँ की गोद में गुजरा बचपन याद आया

देख के रंगमहल की रंगीं दीवारें
मुझको अपना सूना आँगन याद आया

जंगल सर पे रख के सारा दिन भटके
रात हुई तो राज-सिंहासन याद आया

Rahat indori

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *