देखो, आहिस्ता चलो और भी आहिस्ता ज़रा

देखना, सोच सँभल कर ज़रा पाँव रखना

ज़ोर से बज न उठे पैरों की आवाज़ कहीं

कांच के ख़्वाब हैं बिखरे हुए तन्हाई में

ख़्वाब टूटे न कोई जाग न जाए देखो

जाग जाएगा कोई ख़्वाब तो मर जाएगा

देखो, आहिस्ता चलो और भी आहिस्ता ज़रा

देखना, सोच सँभल कर ज़रा पाँव रखना

ज़ोर से बज न उठे पैरों की आवाज़ कहीं

कांच के ख़्वाब हैं बिखरे हुए तन्हाई में

ख़्वाब टूटे न कोई जाग न जाए देखो

जाग जाएगा कोई ख़्वाब तो मर जाएगा

गुलज़ार