Etbaar ये मज़ा था दिल्लगी का कि बराबर आग लगती; न तुम्हें क़रार होता न हमें क़रार होता; तेरे वादे पर सितमगर अभी और सब्र करते; अगर अपनी जिन्दगी का हमें ऐतबार होता।