इश्क़ बुरी शै सही, पर दोस्तो।
दख्ल न दो तुम, मेरी हर बात में॥
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Duniya
या तो इस दुनिया के मनवाने में कोई बात थी,
या हमारी नीयत-ए-इनकार थोड़ी कम रही ।
Shakl
वो शक्ल पिघली तो हर शै में ढल गई जैसे
अजीब बात हुई है उसे भुलाने में
Gham
कौन दोहराए वो पुरानी बात
ग़म अभी सोया है जगाए कौन