Shayrana
Shayrana si hai Zindgi ki Fiza
मुझे खुदा के इन्साफ पर उस दिन यकीन हो गया जब मैंने अमीर और गरीब का एक जैसा कफ़न देखा
मुंसिफ़ हो अगर तुम तो कब इन्साफ़ करोगे मुजरिम हैं अगर हम तो सज़ा क्यूँ नहीं देते