“कर लेता हूँ बर्दाश्त तेरा हर दर्द इसी आस के साथ..
की खुदा नूर भी बरसाता है, आज़माइशों के बाद”.!!!
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Sharminda
शर्मिंदा हूँ उन फूलों से,
जो मेरे हाथों में ही सूख गये,
तेरा इंतज़ार करते करते
Intzaar
इंतजार तो किसी का भी नहीं है अब,
_____फिर न जाने क्यों________
पीछे पलट कर देखने की आदत गई नहीं।