लोग हर मोड़ पे रुक रुक के संभलते क्यों हैं
इतना डरते हैं तो फिर घर से निकलते क्यों हैं
मोड़ होता हैं जवानी का संभलने के लिए
और सब लोग यही आ के फिसलते क्यों हैं
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मुझपे तूफ़ाँ उठाये लोगों ने
मुफ़्त बैठे बिठाये लोगों ने
Dariya
बडे लोगों से मिलने में हमेशा फ़ासला रखना
जहां दरिया समन्दर में मिले, दरिया नहीं रहता
Patthar
लोग मुन्तज़िर ही रहे कि हमें टूटा हुआ देखें..
और हम थे कि सहते-सहते पत्थर के हो गए….