शैख़ जी थोड़ी सी पीकर आइये

सुदर्शन फ़ाकिर

शैख़ जी थोड़ी सी पीकर आइये
मय है क्या शय फिर हमें बतलाइये

आप क्यों हैं सारी दुनिया से ख़फ़ा
आप भी दुश्मन मेरे बन जाइये

क्या है अच्छा क्या बुरा बंदा-नवाज़
आप समझें तो हमें समझाइये

जाने दिजे अक़्ल की बातें जनाब
दिल की सुनिये और पीते जाइये

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चराग़-ओ-आफ़ताब ग़ुम

सुदर्शन फ़ाकिर

चराग़-ओ-आफ़्ताब ग़ुम, बड़ी हसीन रात थी
शबाब की नक़ाब ग़ुम, बड़ी हसीन रात थी

मुझे पिला रहे थे वो कि ख़ुद ही शम्मा बुझ गई
गिलास ग़ुम शराब ग़ुम, बड़ी हसीन रात थी

लिखा हुआ था जिस किताब में, कि इश्क़ तो हराम है
हुई वही किताब ग़ुम, बड़ी हसीन रात थी

लबों से लब जो मिल गए, लबों से लब जो सिल गए
सवाल ग़ुम जवाब ग़ुम, बड़ी हसीन रात थी

कुछ तो दुनिया की इनायात

सुदर्शन फ़ाकिर

कुछ तो दुनिया कि इनायात ने दिल तोड़ दिया
और कुछ तल्ख़ी-ए-हालात ने दिल तोड़ दिया

हम तो समझे थे के बरसात में बरसेगी शराब
आयी बरसात तो बरसात ने दिल तोड़ दिया

दिल तो रोता रहे, ओर आँख से आँसू न बहे
इश्क़ की ऐसी रवायात ने दिल तोड़ दिया

वो मेरे हैं, मुझे मिल जायेंगे, आ जायेंगे
ऐसे बेकार ख़यालात ने दिल तोड़ दिया

आप को प्यार है मुझ से के नहीं है मुझ से
जाने क्यों ऐसे सवालात ने दिल तोड़ दिया