Shayrana
Shayrana si hai Zindgi ki Fiza
शायरी कुछ भी हो रुसवा नहीं होने देती मैं सियासत में चला जाऊं तो नंगा हो जाऊँ
हम तो शायर हैं सियासत नहीं आती हमको हम से मुंह देखकर लहजा नहीं बदला जाता