Shayrana
Shayrana si hai Zindgi ki Fiza
शायद कुछ दिन और लगेंगे, ज़ख़्मे-दिल के भरने में, जो अक्सर याद आते थे वो कभी-कभी याद आते हैं।
भला आज महिफल शांत कैसे है दोस्तों, जख्म भर गये या मुहब्बत फिर से मिल गयी..