Tu jo mujhse juda nahi hota

तू जो मुझसे जुदा नहीं होता
मैं ख़ुदा से ख़फ़ा नहीं होता 

ये जो कंधे नहीं तुझे मिलते
तो इतना तू बड़ा नहीं होता 

सच की ख़ातिर न खोलता मुख गर
सर ये मेरा कटा नहीं होता 

चांद मिलता न राह में उस रोज़
इश्क का हादसा नहीं होता 

पूछते रहते हाल-चाल अगर
फ़ासला यूँ बढ़ा नहीं होता 

छेड़ते तुम न गर निगाहों से
मन मेरा मनचला नहीं होता 

होती हर शै पे मिल्कियत कैसे
तू मेरा गर हुआ नहीं होता 

कहती है माँ, कहूँ मैं सच हरदम
क्या करूँ, हौसला नहीं होता

Gautam rajrishi

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