वो आँख अभी दिल की कहाँ बात करे है
कमबख़्त मिले है तो सवालात करे है
वो लोग जो दीवाना-ए-आदाब-ए-वफ़ा थे
इस दौर में तू उनकी कहाँ बात करे है
क्या सोच है, मैं रात में क्यों जाग रहा हूँ
ये कौन है जो मुझसे सवालात करे है
कुछ जिसकी शिकायत है न कुछ जिसकी खुशी है
ये कौन-सा बर्ताव मिरे साथ करे है
दम साध लिया करते हैं तारों के मधुर राग
जब रात गये तेरा बदन बात करे है
हर लफ़्ज़ को छूते हुए जो काँप न जाये
बर्बाद वो अल्फ़ाज़ की औक़ात करे है
हर चन्द नया ज़ेहन दिया, हमने ग़ज़ल को
पर आज भी दिल पास-ए-रवायात करे है
Jaan nissar akhtar