इस से पहले कि बेवफ़ा हो जाएँ
क्यूँ न ए दोस्त हम जुदा हो जाएँ
Category: Ahmed Faraz
Muhabbat
ये मोहब्बत है, सुन, ज़माने, सुन!
इतनी आसानियों से मरती नहीं
Insaaf
मुंसिफ़ हो अगर तुम तो कब इन्साफ़ करोगे
मुजरिम हैं अगर हम तो सज़ा क्यूँ नहीं देते
Dil
अब तक तो दिल का दिल से तार्रुफ़ न हो सका
माना कि उससे मिलना मिलाना बहुत हुआ