झूम के जब रिंदों ने पिला दी
शैख़ ने चुपके चुपके दुआ दी
एक कमी थी ताज महल में
मैं ने तेरी तस्वीर लगा दी
आप ने झूठा वादा कर के
आज हमारी उम्र बढ़ा दी
हाए ये उन का तर्ज-ए-मोहब्बत
आँख से बस इक बूँद गिरा दी
Kaif bhopali
झूम के जब रिंदों ने पिला दी
शैख़ ने चुपके चुपके दुआ दी
एक कमी थी ताज महल में
मैं ने तेरी तस्वीर लगा दी
आप ने झूठा वादा कर के
आज हमारी उम्र बढ़ा दी
हाए ये उन का तर्ज-ए-मोहब्बत
आँख से बस इक बूँद गिरा दी
Kaif bhopali
कौन आएगा यहाँ कोई न आया होगा
मेरा दरवाजा हवाओं ने हिलाया होगा
दिल-ए-नादाँ न धड़क ऐ दिल-ए-नादाँ न धड़क
कोई ख़त ले के पड़ौसी के घर आया होगा
इस गुलिस्ताँ की यही रीत है ऐ शाख़-ए-गुल
तू ने जिस फूल को पाला वो पराया होगा
दिल की किस्मत ही में लिक्खा था अँधेरा शायद
वरना मस्जिद का दिया किस ने बुझाया होगा
गुल से लिपटी हुई तितली हो गिरा कर देखो
आँधियों तुम ने दरख़्तों को गिराया होगा
खेलने के लिए बच्चे निकल आए होंगे
चाँद अब उस की गली में उतर आया होगा
‘कैफ’ परदेस में मत याद करो अपना मकाँ
अब के बारिश ने उसे तोड़ गिराया होगा
Kaif bhopali
काम यही है शाम सवेरे
तेरी गली के सौ सौ फेरे
सामने वो हैं जुल्फ बिखेरे
कितने हसीं है आज अँधेरे
हम तो हैं तेरे पूजने वाले
पाँव न पड़वा तेरे मेरे
दिल को चुराया ख़ैर चुराया
आँख चुरा कर जा न लुटेरे
Kaif bhopali
जब हमें मस्जिद में जाना पड़ा है
राह में इक मै-ख़ाना पड़ा है
जाइए अब क्यूँ जानिब-ए-सहरा
शहर तो ख़ुद वीराना पड़ा है
हम न पिएँगे भीक की साकी
ले ये तेरा पैमाना पड़ा है
हरज न हो तो देखते चलिए
राह में इक दीवाना पड़ा है
खत्म हुई सब रात की महफिल
एक पर-ए-परवाना पड़ा है
Kaif bhopali