ज़िंदगी यूँ हुई बसर तन्हा
क़ाफ़िला साथ और सफ़र तन्हा
ज़िंदगी यूँ हुई बसर तन्हा
क़ाफ़िला साथ और सफ़र तन्हा
आइना देख कर तसल्ली हुई
हम को इस घर में जानता है कोई
आप के बाद हर घड़ी हम ने
आप के साथ ही गुज़ारी है
लौट आओ वो हिस्सा लेकर, जो साथ ले गये थे तुम..
इस रिश्ते का अधूरापन अब अच्छा नही लगता….!!