अब तो कर दे इजहार तू मुझसे प्यार का,
देख अब तो मोहब्बत का महीना भी आ गया
अब तो कर दे इजहार तू मुझसे प्यार का,
देख अब तो मोहब्बत का महीना भी आ गया
आज मौसम बहुत खुशनुमा है.. ,
क्या तुमने हवाओं को चूमा है…?
अपनी मर्जी से कहाँ अपने सफ़र के हम है
रुख हवाओ का जिधर का है उधर के हम है
बूए-गुल, नाला-ए-दिल, दूदे चिराग़े महफ़िल
जो तेरी बज़्म से निकला सो परीशाँ निकला।
चन्द तसवीरें-बुताँ चन्द हसीनों के ख़ुतूत,
बाद मरने के मेरे घर से यह सामाँ निकला।