Daastan e gham e dil unko sunai na gai

दास्तान-ए-ग़म-ए-दिल उनको सुनाई न गई 
बात बिगड़ी थी कुछ ऐसी कि बनाई न गई 

सब को हम भूल गए जोश-ए-जुनूँ में लेकिन 
इक तेरी याद थी ऐसी कि भुलाई न गई 

इश्क़ पर कुछ न चला दीदा-ए-तर का जादू 
उसने जो आग लगा दी वो बुझाई न गई 

क्या उठायेगी सबा ख़ाक मेरी उस दर से 
ये क़यामत तो ख़ुद उन से भी उठाई न गई

Jigar moradabadi

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