Duniya ke sitam yad na apni hi wafa yad

दुनिया के सितम याद ना अपनी हि वफ़ा याद 
अब मुझ को नहीं कुछ भी मुहब्बत के सिवा याद 

मैं शिक्वाबलब था मुझे ये भी न रहा याद 
शायद के मेरे भूलनेवाले ने किया याद 

जब कोई हसीं होता है सर्गर्म-ए-नवाज़िश 
उस वक़्त वो कुछ और भी आते हैं सिवा याद 

मुद्दत हुई इक हादसा-ए-इश्क़ को लेकिन 
अब तक है तेरे दिल के धड़कने की सदा याद 

हाँ हाँ तुझे क्या काम मेरे शिद्दत-ए-ग़म से 
हाँ हाँ नहीं मुझ को तेरे दामन की हवा याद 

मैं तर्क-ए-रह-ओ-रस्म-ए-जुनूँ कर ही चुका था 
क्यूँ आ गई ऐसे में तेरी लगज़िश-ए-पा याद 

क्या लुत्फ़ कि मैं अपना पता आप बताऊँ 
कीजे कोई भूली हुई ख़ास अपनी अदा याद 

Jigar moradabadi

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *